दशहरे का उत्सव पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है दशहरे की शुरुआत दशहरे से 10 दिन पहले हो जाती है, दशहरे के 9 दिन पहले दिनों को नवरात्रि कहते हैं और दशहरे वाले दिन को विजयदशमी कहते हैं 2023 में 15 अक्टूबर से लेकर 24 अक्टूबर तक दशहरे का उत्सव मनाया जा रहा है पहले नवरात्रि को गेहू को उगाया जाता है और 10 दिन के बाद उनको दशहरे वाले दिन किसी वहते पानी में और रावण के चरणों में डालकर रावण को नमन किया जाता है दशहरे से 10 दिन पहले रामलीला की जाती है रामलीला में श्री रामचंद्र जी श्री लक्ष्मण जो जो दुविधा का सामना करना पड़ा उनको दिखाया जाता है रामलीला के आखिर वाले दिन में रावण का वध कर दिया जाता है हमारे भारत में दशहरे का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है चंडीगढ़ के साथ पढ़ते पंचकूला में दुनिया का सबसे बड़े रावण का पुतला बनाया जाता है ,अब तक का दुनिया का सबसे बड़े रावण का पुतला 221 फीट का बनाया गया था इस बार जो हिंदुस्तान का और दुनिया का सबसे ऊंचा रावण है वह 171 फुट का यह पंचकूला के 5 सेक्टर के बीच में बनाया जा रहा है जिसे चैरिटेबल ट्रस्ट आयोजित कर रही है, इसको बनाने के लिए लगभग 25 आदमियों की टीम लगी हुई है, और इसमें 25 क्विंटल के करीब लोहा लगा है और इसमें 500 पीस 24 फुट हाइट के बांस लगे हुए हैं, इसको बनाने के लिए 3000 मीटर कपड़े का इस्तेमाल किया गया है, इसका चेहरा फाइबर ग्लास से बनाया गया है
और रिमोट कंट्रोल के साथ इसका दहन होगा जिसके 15 पॉइंट इसके बीच में सेट किए जाएंगे जो मुख्य वह रिमोट कंट्रोल के द्वारा दशहरे के दिन इसको दहन करेंगे, 19 अक्टूबर को दुनिया के सबसे बड़े रावण को पंचकूला के सेक्टर 5 में खड़ा किया जाएगा, और 24 अक्टूबर को इसको आग लगाकर इसका दहन किया जाएगा दोस्तों पंचकूला का दशहरा भारत में बहुत ही प्रसिद्ध माना जाता है लोग दूर दूर से यह दशहरे का मेला देखने आते हैं इसकी खास बात यह है कि यह दुनिया का सबसे बड़े रावण का पुतला बहुत ही देखने योग होता है दशहरे वाले दिन श्याम के समय जार्विस पुतले को आग लगाने का समय आता है तो हजारों की गिनती में लोग देखने आते हैं दोस्तों यह रावण का ऐसा पुतला है जिसमें लाइट भी लगी होती है जो शाम के समय बहुत खूबसूरत लगती है चंडीगढ़ के साथ होने की वजह से पंचकूला में चंडीगढ़ से भी बहुत बड़ी मात्रा में लोग इस दशहरे को देखने आते हैं, इस बार दुनिया के सबसे बड़े रावण को बनाने में 18 लाख का खर्चा आया है।
दशहरा क्यों मनाया जाता है ?
दोस्तों दशहरे के उत्सव का हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व है इस दिन श्री रामचंद्र जी ने लंका के राजा रावण को मारा था दशहरे के उत्सव को बधी पर नेकी की जीत का प्रतीक भी कहा जाता है, जिसे हम आसान शब्दों में यह कह सकते हैं कि दशहरे का उत्सव हमें यह सीख देता है कि अगर हम बुरे काम करेंगे तो अंत भी बुरा होगा इसलिए हमें जिंदगी में अच्छे कर्म करने चाहिए और अच्छे काम करते रहना चाहिए और कोई भी जय काम नहीं करना चाहिए किसी दूसरे व्यक्ति का दिल दुखे, दशहरे का उत्सव हमें बहुत कुछ खाने के लिए मनाया जाता है।
रावण के पुतले को क्यों जलाया जाता है ?
रावण के पुतले को जलाने का मुख्य कारण यह है कि जिस दुनिया को यह पता चल सके के अगर कोई भी व्यक्ति बुरे काम करता है तो अंत भी बुरा होगा रावण के पुतले को इसलिए जलाया जाता है का जो हमें याद रह सके कि अगर हम कोई बड़ा काम करेंगे तो आने वाली पीढ़ियां भी हमें अच्छा नहीं समझेगी।
दोस्तों हम आपको यह कहना चाहते हैं कि आप सबको हमारे भारत में मनाए जाने वाले हर एक उत्सव से कुछ ना कुछ सीखना चाहिए हमारा भारत हमारी संस्कृति और उत्सव की वजह से सारी दुनिया से महान है तभी हमारे भारत को उत्सवो का देश भी कहा जाता है हमें सभी धर्म सभी जातो के लोगों को आपस में मिलकर रहना चाहिए जिससे हमारा देश और भी तरक्की कर सके पूरी दुनिया में हमारे भारत जैसा कोई देश नहीं है हमारा भारत देवी, देवता, गुरु ,पीरों की वजह से सबसे महान है हमें सब धर्म का आदर करना चाहिए क्योंकि हम सब लोग एक ही परमात्मा की संतान है।